सोमवार, 7 जून 2010

ये कैसा इंसाफ?

भोपाल गैस त्रासदी के दोषियों को सजा दिलाने की लड़ाई लड़ने वाले अपनी इस जीत पर खुशी मनाए या मातम ये उनको भी समझ में नहीं आ रहा होगा...क्या ये किसी भी तरह उचित है कि पच्चीस हजार लोगों की जान लेने, करीब छह लाख लोगों को अपाहिज करने और हजारों महिलाओं को बांझ बनाने की सजा सिर्फ दो साल और एक लाख का जुर्माना किया जाए...और तो और जिनको सजा दी गई उनके लगे हाथों बेल भी दे दिया गया...कोई भी समझदार आदमी इस सजा से सहमत नहीं होगा...लेकिन मेरे देश में ऐसा है कि अगर आपके एक जेब में पैसा है तो आप दूसरे जेब में उन लोगों को रख सकते हैं जो कानून बनाते हैं और उसके साथ खेलने का अधिकार रखते हैं...अगर ऐसा नही होता तो एक नाबालिग लड़की को आत्महत्या करने के लिए मजबूर करने वाले राठौर को सिर्फ छह महीने की सजा नही होती और भोपाल में हजारों लोगों को जहरीले गैस के हवाले करने वाला वॉरेन एंडरसन पिछले अठारह साल से फरार नही होता...भोपाल गैस हादसा दुनिया का सबसे बड़ा औद्योगिक हादसा है इस हादसे के जिम्मेदार लोगों को जितनी भी कड़ी सजा दी जाए वो कम ही होगी...ज्यादा मुनाफा कमाने के लिए लोगों की जिंदगी से खेलने वालों को सबक सिखाने के लिए इस हादसे के दोषियों को कड़ी से कड़ी सजा का प्रावधान होना चाहिए... लेकिन पच्चीस साल बीत जाने के बाद भी किसी भी सरकार और किसी भी अदालत ने न कुछ किया और न ही कुछ कहा ... अगर सजा की खाना पूर्ती के लिए कुछ लोगों को इतने सालों बाद कुछ महीने की सजा और कुछ रुपए का जुर्माना किया जाता है तो क्या हादसे के पीड़ितों के साथ सरकार और अदालत न्याय करेगी... इस तरह की सजा देकर क्या उन लोगों की मौ्त और अपने जिगर के टुकड़ों को खोकर इंसाफ के लिए दर दर की ठोकर खा रहे लोगों के सब्र का मजाक उड़ाना नही है...जब राठौर जैसे लोग कम सजा पाने की खुशी में मुस्कुराते हैं और एंडरसन जैसे लोग हजारों लोगों को मौत के मुंह में धकेल कर सिर्फ पच्चीस हजार रुपए देकर जमानत पाते हैं और देश से फरार हो जाते हैं तो अपने देश पर गर्व नही होता है बल्कि शर्म से सिर झुक जाता है...आज जरूरत इस बात है कि ऐसे कानून को बदला जाए जो इंसाफ की जगह पर लोगों को नाइंसाफी और मायूसी देता है...इसके साथ ही सरकार अपने भीतर इतनी इच्छा शक्ति पैदा जिससे मुट्ठी भर लोगों की जेब से काननू को बाहर निकाल कर आम लोगों तक पहुंचाया जाए...जिसको कानून की जरुरत है और जो कानून की ओर इंसाफ की आस में सालों से टकटकी लगाए बैठे हैं... भोपाल के लाखों लोग आज पच्चीस के साल के बाद ठगे हुए महसूस कर रह हैं...

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